- यह 24° से 26°48’उत्तरी अक्षांश व 74°50 ‘ से 79° 10’ पूर्वी देशांतर तक विस्तृत है|
- नदिया-चंबल, सिंध, पार्वती, क्वारी, कुनो आदि|
- क्षेत्रफल -32896 वर्ग किमी (प्रदेश का 10.7%)
- जिले- भिंड, मुरैना, शिवपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, नीमच और मंदसौर|
- तापमान – अधिकतम 40°से. 44°से.
- न्यूनतम – 17°से. 18°से.
- वर्षा – 75से. मी. से कम
- वन – 20 से 27% वन (शीशम, खैर, बबूल )
- मिटटी – जलोढ़ तथा काली
- उद्योग – कैलारस (सहकारी शक्कर) डबरा, गुना (चीनी कारखाना), शिवपुरी व बानमौर (खैर उद्योग), बानमौर सीमेंट व ग्वालियर में कृत्रिम रेशा, बिस्कुट, चीनी मिट्टी बर्तन |
- दर्शनीय स्थल – ग्वालियर दुर्ग (सूरजसेन निर्मित 525ई. )में गुजरी महल, हाथी फोड़ द्वार, हिण्डोला द्वार, मोती महल, सास -बहु मंदिर, तेली मंदिर, जैन मूर्तियां आदि (कार्गो हवाई अड्डा, डबरा )|
इतिहास
- गुप्तेश्वर उत्खनन (ग्वालियर ) से 40 से 50 हजार वर्ष पूर्व प्रागैतिहासिक मानव समुदायों को बसाहट का ज्ञान होता था |
- पद्मावती (पवाया) नागवंशियों की राजधानी थी |इस क्षेत्र में गुप्त शाशकों का भी राज रहा है |
- ग्वालियर शिलालेख के अनुसार हूण राजा मिहिरकुल ने भी यहां राज किया |
- आठवीं शताब्दी में गुर्जर -प्रतिहारों ने सत्ता स्थापित की |
- राष्ट्रकूटों ने गुर्जर -प्रतिहारों को परास्त किया था व द्राविड़ शैली के तेली मंदिर के निर्माणकर्ता समभवतः राष्ट्रकूट ही थे (आठवीं शताब्दी )|
- ग्यारहवीं शताब्दी में चन्देलों ने ग्वालियर पर शासन किया |चन्देलों ने कच्छपों को अपना प्रशासक बनाया, जिन्होंने ग्वालियर किले में सहस्त्रबाहु का मंदिर तथा सिहोनिया में ककन मठ मंदिर बनाया |
- तोमर वंश 1394 ई. में शुरू हुआ, जब ग्वालियर को वीर सिंह तोमर ने जीता |
- मानसिंह तोमर (1486) ने ललित कला का विकास किया, 1517ई. में इब्राहिम लोधी ने विक्रमजीत तोमर से ग्वालियर को जीता | बाद में ग्वालियर 1754 ई. तक मुगलों के अधीन रहा |
- मराठा वंश के महादजी सिंधिया ने यहां शासन सत्ता स्थापित की तत्पश्चात दौलत राव सिंधिया ने अपनी राजधानी उज्जैन से लश्कर स्थानांतरित की |
- सन 1951 में मध्य भारत पठार व मालवा को मिलाकर ‘मध्य भारत प्रान्त ‘ बनाया गया व जीवाजी राव सिंधिया यहां के राज प्रमुख नियुक्त हुए | सन 1956 में इस प्रान्त का विलय मध्य प्रदेश में हुआ |