मध्य प्रदेश के प्राकृतिक विभाग

मध्य प्रदेश के प्राकृतिक विभाग (सामान्य ज्ञान)

  • भौतिक संरचना की दृष्टि से मध्य प्रदेश को निम्न प्रदेशों व उप प्रदेशों में बांटा जा सकता है: मध्य प्रदेश भू वैज्ञानिक दृष्टि से प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का हिस्सा है| गोंडवाना का विस्तार उत्तर व उत्तर-पूर्व की ऒर अभिसरण (convergence) हुआ है, जो वर्तमान में दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय भाग के रूप में विस्तृत है दक्षिण प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग में मध्य प्रदेश राज्य स्थित है इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश एक स्थल बद्घ (Land Locked) राज्य है क्योंकि इसकी भौगोलिक सीमाएं समुद्र तट व अंतर्राष्ट्रीय सीमा को स्पर्श नहीं करती है|
  • मध्य उच्च प्रदेश – मध्य भारत का पठार, बुंदेलखंड पठार, मालवा पठार, रीवा पन्ना पठार, नर्मदा सोन घाटी
  • सतपुड़ा मैकल श्रेणी – (वर्धा , पूर्णा, ताप्ती, तवा, बेनगंगा, पेंच आदि नदियां)
  • पूर्वी पठार (बघेलखण्ड पठार)-शहडोल, अनूपपुर,उमरिया आदि
  • प्रदेश के प्राकृतिक विभागों का विवरण इस प्रकार है : मध्य प्रदेश आकिर्यन (आद्य महाकल्प ), धारवाड़, कुड़प्पा, विंध्य, गोंडवाना क्रम की चट्टानों के निक्षेप पाये जाते हैँ तथा मध्य प्रदेश की भू-गार्भिक संरचना का निर्माण काल से लेकर क्वॉटरनरी काल तक की चट्टानों से हुआ है| मध्यप्रदेश में आकिर्यन, विंध्यन एवं दक्कन ट्रैप की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार पाया जाता है|चट्टानों का प्राचीनतम समूह जो की आकिर्यन (कार्यान्तरित ) तथा प्रोटेरोज़ोइक (जीवन के प्रारंभिक समय में विकसित) चट्टानों से मिल कर बना है, जिससे मध्य प्रदेश के लगभग 45 प्रतिशत क्षेत्र का निर्माण हुआ है |इसके अतिरिक्त कार्बोनिफेरस से लेकर क्रेटेशियस काल की चट्टानों से मिल कर गोंडवाना शैल समूह का निर्माण हुआ है, जिससे मध्य प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत क्षेत्र का एवं क्रेटेशियस एवं पेलियोसीन काल में निर्मित दक्कन ट्रैप की बेसाल्ट चट्टानों से मध्य प्रदेश के 38 प्रतिशत क्षेत्र का निर्माण हुआ है |

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