इस लेख मे मध्यप्रदेश की खनिज नीति एवं खनिज प्रशासन को संक्षिप्त में विश्लेषित किया गया है।
मध्यप्रदेश की खनिज नीति एवं खनिज प्रशासन
वर्तमान में गौण खनिज की रियासतें उत्खन्न पट्टा अथवा व्यापारिक खदान के रूप में मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधान के अनुसार स्वीकृत अनुबंधित की जाती हैं। इनकी रॉयल्टी निर्धारण का कार्य भी इन नियमों के अंतर्गत किया जाता है। दिनांक 12 जनवरी, 2015 से खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत आवेदनों द्वारा प्रस्तुत रिकोनेसेन्स परमिट/ पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति/खनिपट्टा स्वीकृत किये जाने के प्रावधान थे। दिनांक 12 जनवरी, 2015 के पश्चात् भारत सरकार ने उक्त अधिनियम में संशोधन कर दिया है, जिसके फलस्वरूप अब मुख्य खनिजों के क्षेत्रों को समेकित अनुज्ञप्ति (पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति सह-खनन पट्टा) एवं खनिपट्टा के रूप में नीलामी से स्वीकृत किये जाने का प्रावधान किया गया है। नीलाम किये जाने वाले खनिजों का चिन्हांकन व चयन निर्धारित मापदण्डों के अनुसार राज्य शासन द्वारा किया जाता है।
प्रदेश में गौण खनिजों के अवैध उत्खनन की रोकथाम हेतु म.प्र. गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 53 के प्रावधान के अनुसार, दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जाती है। वहीं मुख्य खनिजों के मामलों में खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 21 के प्रावधानों के तहत खनिजों के अवैध उत्खननकताओं के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा मुख्य खनिज एवं गौण खनिज के भण्डार पर विक्रय करने वालों के लिये राज्य शासन द्वारा म.प्र. अवैध (खनन, परिवहन तथा भण्डारण का निवाकरण) नियम, 2005 के तहत कार्यवाही की जाती है। बिना अनुमति के भण्डारण करने वालों के विरुद्ध इन नियमों के तहत अवैध भण्डारण के प्रकरण दर्ज कर दण्डित किये जाने का प्रावधान किया गया है।
राज्य शासन द्वारा म.प्र. गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 56 के प्रावधानों के तहत प्रदेश में गौण खनिजों से प्राप्त होने वाली रॉयल्टी, डेड रेट, सरफेस रेट, व्याज और शास्तियों से प्राप्त होने वाले राजस्व को वित्त विभाग द्वारा बजट प्रावधानों के अधीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध कराया जाता है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ऐसी आवटित रकम का उपयोग पंचायत राज संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं सचिव, ग्राम पंचायत के मानदेय के भुगतान तथा अधोसंरचना विकास में करता है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा दिनांक 12 जनवरी, 2015 से खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में जो संशोधन किये गये हैं, उनके फलस्वरूप दिनांक 12 जनवरी, 2015 से पूर्व स्वीकृत खनिपट्टों से उनके द्वारा देय रॉयल्टी के अलावा देय रॉयल्टी की 30% राशि जिला खनिज प्रतिष्ठान मद में जमा कराई जाती है। इस मद से प्राप्त राशि का व्यय खनन से प्रभावित क्षेत्रों में, जैसे-पेयजल, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, शिक्षा आदि के क्षेत्रों में किया जाता है। भारत सरकार द्वारा दिनांक 12 जनवरी, 2015 से अधिनियम में संशोधन कर यह भी प्रावधान लाया गया है कि, मुख्य खनिज के पट्टाधारियों को देय रॉयल्टी के अलावा 2% की राशि नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट में जमा करना होगी। इस राशि का उपयोग प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में खनिजों की खोज के लिए किये जाने का प्रावधान किया गया है।
खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 9-B के अधीन प्रत्येक जिले में जिला खनिज प्रतिष्ठान के गठन के प्रावधान किये गये हैं। इस अधिनियम के अधीन भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुरूप दिनाक 12 जनवरी, 2015 के पूर्व स्वीकृत मुख्य खनिज के खनिज पट्टेधारियों से देय रॉयल्टी का 30% तथा दिनांक 12 जनवरी, 2015 के पश्चात्
स्वीकृत मुख्य खनिज के खनि पट्टेधारियों से देय रॉयल्टी का 10% जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि में वसूली योग्य होगा।
अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अधीन राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम 2016 दिनांक 28 जुलाई, 2016 से अधिसूचित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा 15 मई, 2015 से प्रत्येक जिले में जिला खनिज फाउण्डेशन ट्रस्ट गठित किया गया है। अधिनियम के अनुरुप दिनांक 12 जनवरी, 2015 से इस निधि में राशि देय किये जाने के प्रावधान किये गये थे।
खनिज अन्वेषण
विभाग द्वारा खनिज अन्वेषण कार्य विभागीय पदस्थ अमले द्वारा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में खनिजों के सर्वेक्षण/पूर्वेक्षण तथा खनिज भंडारों की उपलब्धता एवं गुणवत्ता का आंकलन किया जाता है । आकलित खनिज भंडार प्रदेश में उद्योग स्थापित करने हेतु उपयोगी होते है। खनिज भंडार के सर्वेक्षण/पूर्वेक्षण के उपरांत खनिज ब्लॉकों के चिन्हांकन एवं नीलामी द्वारा निवर्तन उपरांत खनिज राजस्व आर्जित किया जाता है।
नीलामी के द्वतीय चरण में विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में मुख्य खनिजों के 10 खनिज खडॉ का ई-नीलामी से निर्वतन किये जाने संबंधी कार्यवाही की जाएगी, जिसमें 05 जूना पत्थर, 01 हीरा, 01 आयरन और 02 बाक्साइड तथा 0। गेफाइट खनिज ब्लॉक का चिन्हांकन करके नीलामी किये जाने की योजना है तथा आगामी (03 वर्षों से 25-30 खनिज स्लॉकों का सर्वेक्षण /पूर्वेक्षण उपरांत चिन्हांकन करके नीलम किये जाने की योजना है, जिससे खनिज राजस्व में वृद्धि होगी एवं खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना हो सकेगी।
वर्ष 2015-16 में खनिज अन्वेषण के अंतर्गत 1206 वर्ग किलोमीटर भाग में सर्वेक्षण /मानचित्रण तथा 4354 मीटर वेधन किया गया था। वर्ष 2016-17 में 248 वर्ग किलोमीटर भाग में दुत गति सर्वेक्षण, 11.79 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत मानचित्रण तथा 2732.45 मीटर वेधन कार्य किया गया।
वर्ष 2017-18 में विभाग द्वारा रीवा, सतना, धार, श्योपुर मुरैना, अलीराजपुर, झाबुआ तथा डिण्डौरी जिलों में क्रमशः चूना पत्थर, बॉक्साइट के लिये जी-3/जी 2 श्रेणी का पूर्वेक्षण कार्य प्रस्तावित है, जिसमें लगभग 7350 मोटर वेधन कार्य 950 वर्ग किमी. द्रुत गति सर्वेक्षण कार्य एवं लगभग 17.87 वर्ग किमी. में विस्तृत मानचित्रण का कार्य किया जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप आगामी वर्ष में खनिज चूना पत्थर एवं बॉक्साइट को विद्यमानता प्रमाणित होने पर नवीन खनिज खण्ड नीलामी हेतु उपलब्ध हो सकेंगे।
खनिज नीति एवं खनिज प्रशासन
राष्ट्रीय खनिज नीति के परिप्रेक्ष्य में मध्य प्रदेश शासन द्वारा घोषित खनिज नीति में खनिजों के दोहन एवं अन्वेषण में आधुनिकतम तकनीक का उपयोग कर खनिज उद्योग में स्थानीय लोगों की भागीदारी एवं पर्यावरण संतुलन पर जोर दिया गया है। प्रदेश में उपलब्ध खनिज भंडारों के दोहन हेतु मध्यप्रदेश गौण खनिज 1996 के निराकरण के पश्चात् पट्टे दिए जाते हैं अथवा खदानें नीलामी पर आवंटित की गई है ।
गौण खनिज रियायतों को स्वीकृति के कार्य मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधानुसार सम्पादित किए जाते हैं। दिनांक 12 जनवरी, 2015 से खान एव खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन कर मुख्य खनिजों के क्षेत्रों को कम्पोजिट लाइसेंस व माइनिंग लीज नीलामी से आवंटित किए जाने का प्रावधान लगाया गया है. विभाग द्वारा कुछ खनिज ब्लॉक नीलामी हेतु चयनित भी किए गए हैं।
भारत सरकार ने 31 मुख्य खनिजों को दिनांक 10 जनवरी, 2015 से गौण खनिज घोषित किया है। इन 31 खनिजों की नीलामी आवंटित किए जाने हेतु पृथक् से नियम बनाए जाने व मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधित कार्यप्रचलन में है। खनिजों के अवैध उत्खनन की रोकथामका कार्य खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 धारा 2 तथा मध्यप्रदेश गौण खनिज 1996 के नियम 53 के अतिरिक्त म.प्र. भू-राजस्व संहिता, 1959 को धारा 247 (7) के अंतर्गत किये जाने का प्रावधान है।
वर्ष 2004 से खनिज विभाग द्वारा गौण खनिजों से प्राप्त होने वाली राजस्व राशि की सूचना एवं पंचायत विभाग को उपलब्ध कराई जाती है, जिससे पंचायत विभाग द्वारा विभागीय बजट प्रावधान में सम्मिलित कर वित्त विभाग से स्वीकृति के उपरांत पंचायत विभाग द्वारा उक्त राशि जिलों को आवंटित की!जाती है।