मध्य प्रदेश की जलवायु (Important points)
- मध्यप्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय (sub-tropical) जलवायु क्षेत्र में स्थित है तथा यहां उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है मध्य प्रदेश के पश्चिम और उत्तर पश्चिम भाग में अर्ध शुष्क (semi-arid), उत्तरी भाग में उप आद्र (sub-humid) तथा दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में आद्र (humid) जलवायु पाई जाती है तापमान की दृष्टि से मध्य प्रदेश का अधिकांश भाग अति तापीय (megathermal) वर्ग में आता है|
- मध्यप्रदेश में 21° सेल्सियस की समताप रेखा (isothermal line ) राज्य को उत्तरी एवं दक्षिणी दो भागों में विभाजित करती है, जिसके कारण उत्तरी भाग का तापमान अधिक जबकि दक्षिणी भाग का तापमान कम रहता है | मध्य प्रदेश में 21 मार्च के बाद सूर्य उत्तर की तरफ प्रस्थान करने लगता है जिसके कारण तापमान में वृद्धि होती है तथा 21 जून को कर्क रेखा के निकट सूर्य लंबवत होता है, मध्यप्रदेश में ग्रीष्म ऋतु के आरंभिक काल के दौरान दक्षिणी भागों की समुद्र से निकटता और सूर्य के लंबवत होने के फलस्वरूप औसत तापमान अपेक्षाकृत अधिक तथा उत्तर पश्चिमी भाग में कम हो जाता है| इस अवधि में समताप रेखाएं अधिकांश पर पूर्व से पश्चिम कि ओर स्थान्तरित हो जाती है किंतु मई-जून में मध्यप्रदेश के मध्यवर्ती व उत्तरी भाग में सूर्य लंबवत होने के कारण औसत तापमान अधिक हो जाता है तथा दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व की ओर कम हो जाता है|
- मध्य प्रदेश की जलवायु उष्ण कटिबंधीय स्वरूप प्रदान करने का श्रेय कर्क रेखा को जाता है, जो मध्य प्रदेश के मध्य भाग में स्थित 14 जिलों क्रमशः रतलाम, उज्जैन, आगरमालवा, राजगढ़, सीहोर, भोपाल, विदिशा, रायसेन, सागर, दमोह, कटनी, जबलपुर, उमरिया तथा शहडोल से होकर गुजरती है|
मध्य प्रदेश में जलवायविक वर्गीकरण
- कोपेन के अनुसार मध्य प्रदेश की जलवायु को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है| मध्य प्रदेश के दक्षिण पश्चिम व पश्चिम में स्थित बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, अलीराजपुर, धार तथा झाबुआ आदि जिलों में उष्णकटिबंधीय सवाना जलवायु (Aw) एवं राज्य के शेष अन्य भागों में शुष्क शीत मानसूनी जलवायु (Cwg) पाई जाती है|
- ए. आर. सुब्रमण्यम तथा टी. श्री मन्नारायण (1991) ने मध्य प्रदेश की जलवायविक अध्ययन तापमान और वर्षा के वितरण को आधार मानकर मध्य प्रदेश की जलवायु को तीन भागों क्रमशः आद्र-शुष्क अथवा स्टेपी गर्म शीतोष्ण वर्षा जलवायु तथा उष्णकटिबंधीय आद्र एवं शुष्क जलवायु में वर्गीकृत किया गया है|
- जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश को चार भागों में विभाजित किया गया है:- उत्तर का मैदान, मालवा का पठार, विंध्य पर्वतीय क्षेत्र, नर्मदा सोन घाटी |
मध्यप्रदेश कि जलवायु सम्बन्धी मुख्य तथ्य
- मध्यप्रदेश में न्यूनतम वर्षा – गोहद (भिंड)
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक ठंड – शिवपुरी व मुरैना
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वर्षा – पचमढ़ी होशंगाबाद
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक गर्मी – गंज बासौदा विदिशा
मध्य प्रदेश में वर्षा का वितरण
- मध्य प्रदेश के दक्षिण व दक्षिण – पूर्वी भाग में स्थित बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी तथा अनूपपुर जिलों में वार्षिक वर्षा 125 से 150 सेमी. के मध्य होती है |
- मध्यप्रदेश के मध्यवर्ती तथा उत्तर -पूर्वी भाग में स्थित रायसेन, सागर, दमोह, भोपाल, विदिशा, सीधी तथा छतरपुर जिले में वार्षिक वर्षा 75 से 100 सेमी. के मध्य होती है |
- मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिम व उत्तरी भाग में स्थित इंदौर धार, उज्जैन, रतलाम, दतिया, शिवपुरी, मुरैना, भिंड, अलीराजपुर, सीहोर तथा शाहजहांपुर आदि जिलों में औसत वार्षिक वर्षा 75 सेमी से कम होती है |
- मध्य प्रदेश मानसूनी जलवायु वाला प्रदेश है | यहां पर पायी जाने वाली ऋतु में तापमान की विभिन्नता रहती है | प्रदेश में सर्वाधिक तापमान मई माह में तथा सबसे कम जनवरी में होता है, लेकिन सर्वाधिक दैनिक तापांतर (दिन रात के तापमान का अंतर )मार्च माह में पाया जाता है |
- मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर, श्योपुर, नीमच, मंदसौर, रतलाम, शिवपुरी आदि जिले निम्न वर्षा वाले क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं रीवा, सतना, सीधी औसत से कम वर्षा वाले तथा बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा जिले औसत से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में आते हैं |
मध्यप्रदेश में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है तथा शीत ऋतु को सियाला, ग्रीष्म ऋतु को युनाला एवं वर्षा को चौमासा के नाम से जाना जाता है | सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत स्थित पचमढ़ी(होशंगाबाद) को सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान होने के कारण मध्य प्रदेश का चेरापूंजी कहा जाता है| मध्य प्रदेश में पूर्व से पश्चिम की ओर एवं दक्षिण से उत्तर की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा क्रमशः घटती जाती है|