मालवा का पठार
मालवा का पठार मध्य प्रदेश के भौगोलिक विभाग में मध्य उच्च प्रदेश का भाग है! सामान्यतः मध्य प्रदेश को भौगोलिक दृष्टि से 03 भागों में बांटा गया है!- (अ ) मध्य उच्च प्रदेश, मध्य भारत का पठार, बुंदेलखंड, मालवा, रीवा- पन्ना, नर्मदा सोन घाटी (ब ) सतपुड़ा मैकल श्रेणी, (स ) पूर्वी पठार (बघेलखंड) मालवा का पठार, मध्य उच्च प्रदेश का ही भाग है!
मालवा पठार की उत्पत्ति: मालवा का पठार एक लावा पठार है. जिसकी उत्पत्ति क्रिटेशिया काल में हुई जब भारत अफ्रीका से हट कर उत्तर की ओर उन्मुख हुआ !जब भारत अफ्रीका से टूटा तो भ्रंशन के कारण लावा प्रवाह हुआ एवं दक्कन के पठार का निर्माण हुआ एवं भारत पुनः उत्तर की ओर बढ़ा तो रीयूनियन हॉट-स्पॉट से गुजरा और पुनः लावा प्रवाह हुआ, जिससे मालवा का पठार बना!
- मालवा के पठार में सम जलवायु पाई जाती है ! यहां औसतन 75 सेमी. तkक वर्षा पाई जाती है!
- यहां पर शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं!
- लावा पठार पर बेसाल्ट चट्टानों द्वारा काली मृदा का विकास हुआ है!
- काली मृदा पर यहां गेहूं सोयाबीन व कपास की फसल मुख्य रूप से होती है ।
- चंबल, सिंधु, पार्वती, कालीसिंध, क्षिप्रा नदियों द्वारा प्रवाहित इस क्षेत्र में सिंचाई नलकूप व कुओं द्वारा की जाती है ।
- यह क्षेत्र औद्योगिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यहां प्रमुखतः इंदौर, देवास, पीथमपुर, मक्सी, धार, रतलाम, जावरा, मेधनगर जैसे ओधोगिक क्षेत्र हैं !
- मानव संसाधन की दृष्टि से मालवा प्रदेश जनजाति बाहुल्य है! यहां सर्वाधिक भील जनजाति का निवास है !
- मालवा प्रदेश की प्रमुख समस्या भू जल संकट है ! यह प्रदेश जल के अविवेकपूर्ण दोहन के कारण जल संकट से जूझ रहा है!