इस लेख मे विदेश नीति को संक्षिप्त में विश्लेषित किया गया है।
विदेश नीति
हर देश अपने राष्ट्रिय हितों की रक्षा करने के लिए और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बनाये रखने के लिए राज्यों द्वारा बनाई हुई स्वहितकारी रणनीतियों का समूह को ही विदेश नीति कहा जाता है, इसे विदेशी संबंधों की निति भी कहा जाता है। किसी भी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के साथ सामाजिक,आर्थिक और राजनितिक विषयों पर पालन की जाने वाली नीतियों का एक समूह होता है।
भारत में भी विदेश नीति का निर्धारण किया गया है जिसका कार्य राष्ट्रिय हितों को सुरक्षित करना है। इसमें सभी तरह की सुरक्षाएं जैसे आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, राजनीतिक सुरक्षा और साइबर सुरक्षा शामिल है। विदेशी नीतियों की मदद से ही एक देश के सम्बन्ध दूसरे देशों से बनाये जाते हैं ताकि दोनों देशों के हितों की रक्षा हो सके।
भारत की विदेश नीति एक ढाँचा है जिसके भीतर किसी देश की सरकार, बाहरी दुनिया के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग स्वरूपों यानी द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय रूप में संचालित करती है। वहीं कूटनीति किसी देश की विदेश नीति को प्राप्त करने की दृष्टि से विश्व के अन्य देशों के साथ संबंधों को प्रबंधित करने का एक कौशल है। किसी भी देश की विदेश नीति का विकास घरेलू राजनीति, अन्य देशों की नीतियों या व्यवहार एवं विशिष्ट भू-राजनीतिक परिदृश्यों से प्रभावित होता है। शुरुआत के दिनों में यह माना गया कि विदेश नीति पूर्णतः विदेशी कारकों और भू-राजनीतिक परिदृश्यों से प्रभावित होती है, परंतु बाद में विशेषज्ञों ने यह माना कि विदेश नीति के निर्धारण में घरेलू कारक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सभी देशों की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य अपने राष्ट्र के हितों की रक्षा करना होता है, ठीक उसी प्रकार से भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य भी राष्ट्रीय हित ही है। अपने राष्ट्र के हित तथा अपने देश के आर्दशों को ध्यान मे रखकर तथा अंतर्राष्ट्रीय हित में समन्वय स्थापित करते हुए हमारे देश की विदेश नीति के निर्माताओं ने अपनी विदेश नीति के कुछ सिद्धांत निर्धारित किए है, इन्ही को भारत की विदेश नीति की विशेषताएं या आधार के नाम से जाना जाता है।